राजस्थान के सैन बंधु भला क्यों पीछे रहें जो ऐसे महान संत
संत शिरोमणि सैन जी महाराज
राजस्थान के सैन बंधु भला क्यों पीछे रहें
जो ऐसे महान संत से अपना नाता न जोडे ये तो कहते है कि सैन जी राजस्थानी
थें। उन्होने राजस्थान में जगह-जगह भ्रमण करके अपने षब्दों,रसों,भजनों
कविताओं और रचनाओं से अवगत करवाया। आज जितनी मान्यता सैन जी की राजस्थान
में है। उतनी अन्य किसी राज्य में नहीं। वहां सैन भत्कि पीठ जोधपुर
विभिन्न नगरो केतिराहों व चैराहों पर सैन प्रतिमाओं की स्थापना तथा विभिन्न
मार्गो का सैन जी के नाम पर नामकरण इस बात का प्रमाण है। सैन जी ने
दिल्ली, हरियाणा, उत्तर
प्रदेष,मध्यप्रदेष,मुल्तान,पंजाब,श्रीनगर,राजस्थान,उडीसा,तथा महाराश्ट्र के
विभिन्न स्थानों व विभिन्न तीर्थस्थानों पर अपने सत्संग का प्रवाह किया इस
प्रकार इस प्रकार सैन जी का प्रवाह लगभग सभी प्रांतों में रहा। वह जहां
कहीं भी रहे वहां उन्होनें जाति व धर्म से ऊपर उठकर काय्र किए और सच्ची
मानवता ा संदेष दिया।
No comments:
Post a Comment